जल गुणवत्ता निगरानी और सर्वेक्षण | Department of Drinking Water and Sanitation, GOI
डब्ल्यू क्यू एम और एस:
जल गुणवत्ता निगरानी और सर्वेक्षण (डब्ल्यूक्यूवएमएंडएस): राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत जल गुणवत्ता् निगरानी और सर्वेक्षण को उचित बल दिया गया है। बसाहटों से प्राप्त निगरानी और पर्यवेक्षण परिणामों को विभाग के डॉटाबेस में डाला जाता है तथा उसकी पारिवारिक स्तर पर पेयजल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निगरानी की जाती है।
फरवरी 2005 में लागू राष्ट्रीय ग्रामीण जल गुणवत्ता निगरानी और पर्यवेक्षण कार्यक्रम को अब एनआरडीडब्ल्यूपी में विलय कर दिया गया है। विस्तृत डब्ल्यूक्यूएमएंडएस दिशानिर्देश अनुलग्नक में दिए गए हैं।
III. कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा निम्न प्रकार है::
आरजीएनडीडब्ल्यूएम, पेयजल आपूर्ति विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी ”राष्ट्री य ग्रामीण जल गुणवत्ता निगरानी एवं पर्यवेक्षण कार्यक्रम” पर कार्यान्वयन नियमावली (नवंबर 2004) में विस्तृणत ब्यौरे अनुसार डब्ल्यूक्यूएमएंडएस कार्यक्रम का दृष्टिकोण, कार्यनीति और कार्यान्वयन प्रणाली को अपनाए जाने की जरूरत है।
- सभी पेयजल स्रोतों की जीवाणु प्रदूषण की दृष्टि से कम से कम वर्ष में दो बार तथा रसायन प्रदूषण की दृष्टि से वर्ष में कम से कम एक बार जांच की जानी चाहिए।
- NRDWP के तहत राज्यों को जल स्थापित कर सकती है
एनआरडीडब्ल्यूपी के अंतर्गत राज्य उप-प्रभागीय स्तोर पर कुछ चयनित रसायन मानदण्डों (आवश्यकता आधारित) की जांच के प्रावधान सहित जांच प्रयोगशालाएं होनी चाहिए। एनआरएचएम के अंतर्गत प्राथमिक स्वारस्य् केन्द्रों पर जल गुणवत्तात (जैवकीय मानदण्डों ) का प्रावधान है। ये सुविधाएं, तथा क्षेत्र में कॉलेज/स्कूल प्रयोगशालाओं जैसी अन्य किसी प्रयोगशालाओं का कार्यक्रम के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
- मौजूदा क्षेत्रीय जांच किट (एफटीके) का गांवों में सभी पेयजल स्रोतों के रासायनिक और जैविकीय प्रदूषण का प्राथमिक तौर पर पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। फरवरी 2005 में लागू राष्ट्रीय ग्रामीण जल गुणवत्ता निगरानी एवं पर्यवेक्षण कार्यक्रम का पूरी तरह इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
- डब्ल्यूक्यूएमएंडएस के लिए सूचना, शिक्षा एवं संचार और मानव संसाधन विकास को सीसीडीयू कार्यकलापों के भाग के रूप में शुरू किया जाना चाहिए।
- ग्राम पंचायत स्तर के पांच व्यक्तियों, जिन्हें फरवरी 2006 से राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल गुणवत्ता निगरानी एवं पर्यवेक्षण कार्यक्रम अर्थात् आशा, आंगनवाड़ी कार्यकलापों, स्कूल अध्यापकों, ग्राम पंचायत सदस्यों, सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि के लिए प्रशिक्षित किया गया है, की सेवाएं पर्यवेक्षण कार्यक्रम के लिए लेना जारी रखा जाना चाहिए।
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निगरानी डीडीडब्ल्यूएस के आईएमआईएस पर विनिर्दिष्ट प्रयोगशालाओं द्वारा सभी स्रोतों के जांच परिणामों को दर्ज करके की जानी चाहिए। बसाहट और पारिवारिक आंकड़ों को गांव स्तरीय दो सदस्यों द्वारा एकत्र किया जाना चाहिए।
- वीडब्ल्यूएससी सदस्य को ग्राम सभा में चयनित किया जाता है तथा वे पूरी तरह से पंचायत और
- एनआरएचएम की आशा के प्रति जिम्मेदार होते हैं। ये गांव में प्रयुक्त क्षेत्रीय परीक्षण किटों के जांच परिणाम को भी अनुप्रमाणित करेंगे।